कहने की जरूरत नहीं है कि इस समय का भारत लगभग जनांदोलनविहीन भारत है, जिसमें र्आिथक वैषम्य, राजनीतिक कदाचार, सर्व स्तरीय भ्रष्टाचार, क्षुद्र अस्मिताओं के अभद्र दुराग्रह सांप्रदायिक शक्तियों के ध्रुवीकरण, जातियों के टकराव, व्यावसायिक विचलन, सांस्कृतिक अवमूल्यन, सामाजिक संबंधों के बिखराव, पर्यावरणीय संकट आदि निरंतर बढ़ रहे हैं।